Amarkant biography in hindi
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Amarkant biography in hindi full...
अमरकांत
अमरकांत (1925 - 17 फ़रवरी 2014) हिंदी कथा साहित्य में प्रेमचंद के बाद यथार्थवादी धारा के प्रमुख कहानीकार थे। यशपाल उन्हें गोर्की कहा करते थे।[1]
जीवन वृत्त
[संपादित करें]अमरकान्त का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगरा कस्बे के पास स्थित भगमल पुर गाँव में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए.
किया। इसके बाद उन्होंने साहित्यिक सृजन का मार्ग चुना। बलिया में पढ़ते समय उनका सम्पर्क स्वतन्त्रता आंदोलन के सेनानियों से हुआ। सन् १९४२ में वे स्वतन्त्रता-आंदोलन से जुड़ गए। शुरुआती दिनों में अमरकान्त तरतम में ग़ज़लें और लोकगीत भी गाते थे। उनके साहित्य जीवन का आरंभ एक पत्रकार के रूप में हुआ। उन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया। वे बहुत अच्छी कहानियाँ लिखने के बावजूद एक अर्से तक हाशिये पर पड़े रहे। उस समय तक कहानी-चर्चा के केन्द में मोहन राकेश, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव की त्रयी थी। कहानीकार के रूप में उनकी ख्याति सन् १९५५ में 'डिप्टी कलेक्टरी' कहानी से हुई।
अमरकांत के स्वभाव के संबंध में रवीन्द्र कालिया लिखते हैं- "वे अत्यन्त संकोची व्यक्ति हैं।